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मंगलवार, 24 मार्च 2020

Networking & Internet

Networking

दो या दो से अधिक ऐसे Computer के समूह को Networking के अंतर्गत मानते है। जो आपस मे अपनी Information,  Resources का आदान प्रदान करते है, इन Computer मे मुख्य Computer को Server तथा बाकी Computer को Node, Client अथवा Terminal कहते है। Networking के द्वारा एक Computer की Information को दूसरे Computer पर भेजते है। एक Computer पर जुड़े हुयें Hardware को बाकी Computer के द्वारा Use किया जाता है तथा किसी काम को जल्दी से जल्दी करने के लिये Networking का Use करते है।
Networking चार प्रकार की होती है।
Ø Local Area Network (LAN)
Ø Campus Area Network (CAN)
Ø Metropolitan Area Network (MAN)
Ø Wide Area Network (W.A.N.)

Local Area Network- 
एक कमरे अथवा एक Building मे जुड़े हुये Computer को L.A.N. कहते है।

Campus Area Network-
10-12 Building से जुड़े Computer के अंतर्गत होने वाले Networking को C.A.N. कहते है। इसका प्रयोग सामान्यतः University, College आदि मे होते है।

Metropolitan Area Network 
इस तरह की Networking दो या दो से अधिक शहरो के लिये होती है।
T.V. Cable इसका मुख्य उदाहरण है।

Wide Area Network
दो या दो से अधिक देशों  के बीच होने वाली Networking WAN कहलाती है। आपस मे जुड़ी हुयी कई LAN का समूह जिसके द्वारा देश -विदेश की Information को शेयर किया जाता हे। Typing, Audio, Video Chatting की जा सकती है। e-mail किये जा सकते है।, Internet कहलाता है। Internet कई प्रकार के होते है। -
Ø Internet
Ø Intranet
Ø Extra-net



Languages Of Computer

कम्प्यूटर की Language को उपयोग के आधार पर बाॅटा गया है। यह तीन प्रकार के होते है।

Machine Language- 
Computer एक Electronic Device है। जो Current Signal पर कार्य करता है। Signal 0 अथवा हो सकते है। इसीलिये हम कह सकते है। कि Computer 0]1 की भाषा समझता है। 2 अंक होने के कारण इसे Binary Language कहते है Computer के द्वारा इसे Basic रुप मे समझने के कारण Low-Level Language कहते है। और अलग-अलग Computer पर अलग अलग Coding होने के कारण इसे Machine Language भी कहा जाता है।

Assembly Language- 
Binary language मे Coding करना अत्याधिक कठिन या और नये Professional इसे उपयोग करने मे कतराते थे। तब निर्देषों को कुछ Coding दी गयी, इस Coding को ही Assembly Code कहा गया। जब ये कोड एक विशाल मात्रा मे हो गये, इसमें लिखे गये निर्देशों को Assembler के द्वारा Machine Language मे बदला जाता है।

High Level language-
एक साधारण व्यक्ति जो पढ़ा लिखा होता है, उसे Assembly Language और Binary Language की तकनीक समझ मे नही आती, तब इस प्रकार लोग किसी छोटे से Program की भी Coding नही कर पाते, तब Programmers द्वारा सोचा गया कि Coding करने के लिये English language का प्रयोग किया जाये। High Level Language के द्वारा कोई भी व्यक्ति जिसे अंग्रेजी और गणित का थोड़ा भी ज्ञान हो, Software Develop कर सकता है।

कुछ High Language निम्न प्रकार है। े
Ø LOGO. (Language of Graphics Oriented)
Ø BASIC.(Beginners All Purpose Symbolic Instruction Code)
Ø COBOL (Common Business Oriented Language)
Ø ForTran. (Formula Translator)
Ø VB (Visual Basic)
Ø CPL (Combined Programming Language)
Ø BCPL (Basic Combined Programming Language)
Ø C
Ø C++
Ø C# (C-Sharp)
Ø Oracle
Ø Java (OAK)
Ø Dot Net

Classification Of Computer

Technology के आधार पर Computer को तीन भागों  में विभाजित किया जाता है।
Ø Digital computer
Ø Analog Computer
Ø Hybrid Computer


Digital Computer- 
ऐसे Computer जो अंको पर कार्य करते हैं। Digital Computer कहलाते है। 0 or 1 के आधार पर कार्य करने के कारण Binary Based Computer भी कहा जाता है। 0 से अर्थ है धारा का प्रवाहित न होना जबकि 1 दर्शाता है कि Circuit Plate मे धारा का प्रवाहित होना।

यह चार प्रकार के होते है।
1) Micro computer           2) Mini Computer

3) Mainframe computer   4) Super Computer
Micro Computer- यह मध्यम आकार के होते हैं। जो किसी एक Table पर आसानी से रखे जाते है। इनके द्वारा Millions of Instruction/Calculation प्रति सेकेण्ड  की जा सकती सकती है। इनका प्रयोग Office, House, Job, work आदि मे किया जाता है। पहला Micro Computer IBM के द्वारा बनाया गया। इसे Personal Computer भी कहा गया है।

Mini computer- Micro Computer से कुछ बड़ा आकार का Computer होता है। इसकी गति Micro Computer की अपेक्षा 5-50 गुना हो सकती है। एक Mini Computer से 30-40 Micro Computer लगाये जा सकते है। पहला Mini Computer सन् 1959 मे D.E.C. के द्वारा बनाया गया था, जिसका नाम P.O.P. था।

Mainframe Computer- Mini Computer आकार मे बड़े होते थे लेकिन एक Mainframe Computer, ENIAC (Electronic Numerical Integrator and calculator),  सन् 1946 मे दो वैज्ञानिको  J. Presper Eckert और John Mauchly के द्वारा बनाया गया था।

Super Computer- इस Computer मे समानान्तर श्रेणी मे एक से अधिक C.P.U. लगे होते  है, जिनमे 5 अरब गणनायें 1 Second मे की जा सकती है। पहला Super Computer CRAY XMP था। भारत का पहला  Super Computer “PARAM” था। जिसे पूणे की CDEC कम्पनी ने बनाया ।

Analog Computer-
ऐसे कम्प्यूटर जो Signals पर कार्य करते है। जैसे- Temperature, Pressure, Voltage, Speed etc.

Hybrid Computer-
ऐसे Computer जो Digital तथा Analog  दोनों की Property को Follow करता है। Hybrid Computer कहलाते है। चिकित्सा संबंधी क्षेत्र में इस तरह के Computer उपयोग मे लाये जाते हें

रविवार, 22 मार्च 2020

Software

Software
Computer के वे भाग जिन्हें हम न छू सकते है, न देख सकते है, न एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकते है। इन्हें केवल महसूस कर सकते है, ऐसे सभी Elements Software कहलाते है।
दूसरे शब्दो में वे Program जो Computer के Hardware मे Active करने का कार्य करते है अथवा User के द्वारा Required Information को Computer करने का कार्य करते है, Software कहलाते है। Software को दो भागों में विभाजित किया गया है।
Ø System Software
Ø Application Software

System Software- 
वे Software जो Hardware के Performance को Control करते है, System और User के बीच Interface का कार्य करते है।
यह सामान्यतः तीन  प्रकार के होते है।
Ø Language Translator
Ø Operating System
Ø Utility Program

Language Translator- 
यह User Code को Machine Code में बदलने के लिये कार्य करता है। यह सामान्यतः तीन प्रकार के होते हैं।
Ø Compiler
Ø Interpreter        
Ø Assembler

Operating System-
यह एक Master Control Program होता है। जो सभी Input Device और Output Device को तथा Secondary Storage Devices को Control करने का काम करता है। इसके साथ - साथ Input Data, Output Data तथा Processed  Data को Control करने का काम भी करता है। यह निम्नलिखित Element  को Control करता है
Ø Input
Ø Output
Ø Memory Manegment
Ø File Management
Ø Interface Management

Utility Program- 
Computer का निर्माण करते समय निर्माणकर्ताओ द्वारा कुछ Software Install कर दिये जाते है तथा Computer Hardware के साथ आने वाले Software, Driver, Utility Program कहलाते है।

Application Software- 
वे Software जो User के द्वारा निर्देश लेते है।  लेने के बाद User के Required Information मे बदलते है, Application Software कहलाते है।
यह तीन प्रकार के होते है।

Normal Product-
इस तरह के Software आसानी से हर जगह प्राप्त नही होते, यह किसी Company के लिये उस Company के Requirement के आधार पर किसी Software Engineer के द्वारा बनवाये जाते हैं। ताकि Company की Working Capacity, Improve हो सकें।

Standard Product- 
इस तरह के Software आसानी से हर जगह प्राप्त हो जाते है। जैसे- MS Word Excel, Page Maker, Corel Draw, Photo Shop etc. 

Package-
Group of Software मिलकर किसी विशेष क्षेत्र मे Use किये जाते है। तब इस ग्रुप को Package कहा जाता है।
Ex- MS Office (MS Word, MS Excel, MS Power Point, MS Access), DTP (Desktop Publishing) “Page Maker, Coral Draw, Photo Shop”.

MS POWER-POINT : Additional options excluding MS-Word and Excel - II

Format Menu Font – Select Text के Font, Font Style, Font Size, Effect, Color आदि  Set or Change  किया जाता है। Alignment – Active Paragraph ...